Department Of Khortha
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Introduction

राधा गोविंद विश्वविद्यालय में खोरठा विभाग की स्थापना सन -2020 में की गई , राधा गोविंद विश्वविद्यालय झारखण्ड का पहला एक मात्र निजी विश्वविद्यालय है , जहां छेत्रीय भाषा खोरठा की पढ़ाई पीएचडी स्तर पर हो रही है | खोरठा झारखण्ड के लगभग डेढ़ करोड़ लोगों की मातृभाषा के साथ - साथ झारखण्ड की द्वितीय राजभाषा भी है | खोरठा विभाग गुणवतापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है |

विश्वविद्यालय का खोरठा विभाग विद्यार्थियों के सम्पूर्ण विकास के लिए हमेशा सन्नद्ध रहा है। खोरठा विभाग पाठ्यक्रम प्रशिक्षण के अलावा विद्यार्थियों के बौद्धिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास के लिए सतत प्रतिबद्ध है। साहित्य, भाषा, मीडिया, रंगमंच और अनुवाद, खोरठा के वैश्विक परिदृश्य से जुड़े प्रश्नपत्रों का अध्ययन-अध्यापन अपनी प्रकृति में अंतःविषयी और वैश्विक है।

भाषा-शिक्षण की प्रविधियों में निरंतर नए प्रयोग करते हुए खोरठा विभाग विद्यार्थियों में शोध के प्रति उत्साह जगाने के लिए प्रयासरत है। विविध क्षेत्रों के विशेषज्ञों एवं साहित्यकारों को आमंत्रित करके खोरठा विभाग विद्यार्थियों को अपने अनुभव और ज्ञान के फ़लक को विस्तृत करने के अवसर प्रदान करती है।विभाग भाषा और साहित्य के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को समझते हुए निरंतर शोध एवं शिक्षण को समानांतर रूप से महत्व देता रहा है। विभाग के प्राध्यापक विशेषज्ञता और अंतर-अनुशासनिक दृष्टि के साथ अध्यापन और प्रशिक्षण देते हैं तथा एक व्यापक मानवीयता के साथ कक्षा के भीतर और बाहर विद्यार्थियों के मार्गदर्शन के लिए तत्पर रहते हैं।

खोरठा विभाग के प्राध्यापक खोरठा साहित्य की विभिन्न विधाओं(कविता, कथा-साहित्य, नाटक आदि) साहित्य के इतिहास, आलोचना, मीडिया एवं पत्रकारिता,भाषा-विज्ञान, अंतर-अनुशासनिक अध्ययन आदि के विशेषज्ञ हैं, जिनके दिशा-निर्देशन में विद्यार्थियों को अध्ययन की व्यापकता के साथ-साथ भविष्य का चुनाव करने में भी सहयोग मिलता है। खोरठा विभाग की पूर्व-विद्यार्थियों ने कई क्षेत्रों में अपनी उपलब्धियों से विश्वविद्यालय का नाम रौशन कियाहै।

Vision

  • झारखण्ड की लोकप्रिय भाषा खोरठा को भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची मेंशामिल कराना एवंखोरठा साहित्य कि विभिन्नविधाओं में साहित्य सृजितकर भारत ही नहीं विश्व फलक पर प्रक्षेपित एवंस्थापित करना।
  • गुणवतापूर्ण शिक्षण के साथ खोरठा भाषा साहित्य का विकास करना।
  • खोरठा भाषा-साहित्य से संबंधित नये नये शोध को बढ़ावा देना।
  • छात्रों को कला संस्कृति एवं खेलकूद में प्रोत्साहित करते हुए अंतराष्ट्रीय स्तरपे आगे बढ़ाना।

Mission

  • खोरठा भाषा के मानक रूप की स्थापना कर एक मानक व्याकरण बनना।
  • खोरठाभाषाकेमानकरूपकेआधारपरसाहित्यकेविभिन्नविधाओंमें साहित्यसृजनकरना।
  • खोरठासाहित्यकेरचनाकारोंकोसमाजमेंप्रतिष्ठितकरनाऔरउनके कृतियोंकोसंकलन,संचयनप्रकाशन और मूल्यांकन को दिशा देना।

PROGRAM EDUCATIONAL OBJECTIVES (PEOs)

PEO1. खोरठा भाषा साहित्य एवं व्याकरण का अध्ययन प्रस्तुत करना।

PEO2. लोगों में अपनी भाषा संस्कृति के प्रति सम्मान बढ़ाने की भावना का विकास करना।

PEO3. नईपीढ़ीकोखोरठासाहित्यकीओरप्रेरितकरनाऔरसाहित्यकेक्षेत्रमें आलोचनात्मक दृष्टि का विकास करना।

PEO4. छात्र खोरठा साहित्य की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि प्रारंभिक और विकासात्मक स्वरूप से परिचित हो सकेंगे।

PROGRAMME SPECIFIC OUTCOMES (PSOs)

PSO1. लोगों में खोरठा भाषा साहित्य एवं संस्कृति के प्रति सम्मान बढ़ाने की भावना का विकास होगा ।

PSO2. खोरठा भाषा-साहित्य की विभिन्न विधाओं में उच्च कोटि कि प्रगतिशिल साहित्य का सृजन करके आदर्श नागरिक ,लेखक, कवि, गीतकार एवं पत्रकार बन सकते हैं।

PSO3. साहित्य के अध्ययन के बाद रोजगार के विभिन्न क्षेत्रों की पहचान करते हुए रोजगार प्राप्त कर सकते हैं।

PROGRAMME OUTCOMES (POs)

PO1- विद्यार्थी खोरठा साहित्य की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि प्रारंभिक और विकासात्मक स्वरूपसे परिचित हो सकेंगे।

PO2- साहित्य के अध्ययन के बाद रोजगार के विभिन्न क्षेत्रों की पहचान करते हुए अपनी सुविधा अनुसार रोजगार तलाशेंगे।

PO3- खोरठा कहानियों के माध्यम से विद्यार्थी सम्पूर्ण मानव जगत् की मानवियता से परिचित होंगे।

PO4- साहित्य को समाज से जोड़कर व्यावहारिक जीवन-यापनकर सकते हैं।

PO5- विद्यार्थी खोरठा लोक साहित्य की अवधारणा, परिभाषा, वर्गीकरण, विशेषताएं और महत्व को समझेंगे।

PO6- रूढ़िवादी परंपरा से हटकर ऊंच-नीच, जाति-पाति, धर्म संप्रदाय, स्त्री-पुरुष में भेदभाव मिटाकर नए समाज का निर्माण कर सकेंगे।

PO7- विद्यार्थियों में सहयोग, सेवा और राष्ट्रीयता की भावना का विकास होगा। समाज की किसी भी समस्या का समाधान कर सकेंगे।

PO8- खोरठा भाषा-साहित्य की विभिन्न विधाओं में साहित्य सृजन कर खोरठा भाषा के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।

PO9- अंग्रेजी, हिंदी समेत दुनिया के श्रेष्ठ साहित्यों का खोरठा भाषा में अनुवाद कर सकेंगे

PO10- विद्यार्थी झारखंड की सभी संस्कृतियों, रूढ़िगत प्रथाओं, परंपराओं और पर्व त्योहारों को बता पाएंगे।

PO11- नटकार, उपन्यासकार, कवि, लेखक, गीतकार बन सकते हैं।

PO12- माय, माटी, मानुष, जल-जंगल के प्रति संवेदनशील बन सकते हैं।

Description

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